दें जीवनसाथी नम्रता का परिचय दें जीवनसाथी नम्रता का परिचय
मां बुनती है बड़े जतन से स्वेटर अक्सर ठंडियों में। मां बुनती है बड़े जतन से स्वेटर अक्सर ठंडियों में।
क्योंकि तुम हो ही ऐसी| क्योंकि तुम हो ही ऐसी|
गांव से जुड़ी अपनी पहचान रहने दो, शहर ना बनाओ गांव को गांव ही रहने दो। गांव से जुड़ी अपनी पहचान रहने दो, शहर ना बनाओ गांव को गांव ही रहने दो।
देह को बस घसीट रहा हूं, अपने मिटने के और उनसे मिलने के इंतजार में......! देह को बस घसीट रहा हूं, अपने मिटने के और उनसे मिलने के इंतजार में.........
तप - तप तपती मरू धरा में जीवन का संघर्ष सही प्यास बुझाने उन शुष्क कंठ की स्वयं की प तप - तप तपती मरू धरा में जीवन का संघर्ष सही प्यास बुझाने उन शुष्क कंठ की स्वय...